अगर आप नहीं जानते तुलसी के औषधीय गुण तो जानले-Healthpluse

अगर आप नहीं जानते तुलसी के औषधीय गुण तो जानले-Healthpluse


बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।
तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है। मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।
दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में रोजाना तुलसी खाने व तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।
तुलसी की जड़ का काढ़ा ज्वर (बुखार) नाशक होता है। तुलसी, अदरक और मुलैठी को घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है।
मासिक धर्म के दौरान कमर में दर्द हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें। इसके अलावा तुलसी के पत्ते चबाने से भी मासिक धर्म नियमित रहता है।
सिर का भारी होना, पीनस, माथे का दर्द, आधा शीशी, मिरगी, नासिका रोग, कृमि रोग तुलसी से दूर होते हैं।
तुलसी, कफ, वात, विष विकार, श्वांस-खाँसी और दुर्गन्ध नाशक है। पित्त को उत्पन्न करती है तथा कफ और वायु को विशेष रूप से नष्ट करती है।

तुलसी के फायदे – तुलसी के पत्ते खाने के फायदे – तुलसी के बीज और रस का उपयोग

  • बारिश के मौसम में, जब सर्दी, बुखार और डेंगू जैसी बीमारियों के संक्रमण फैलते हैं, इसकी पत्तियों का काढ़ा नियमित रूप से पीना शरीर को इन संक्रमणों से बचाता है। बुखार अधिक होने की स्थिति में मरीज़ को तुलसी की पत्तियों को दालचीनी के पाउडर के साथ आधा लीटर पानी में उबालना चाहिए और उसमें गुड़ और थोड़ा दूध मिलाकर मरीज को पिलाना चाहिए। इससे बुखार की तेजी से कम हो जाता है।
  • बुखार के उपचार के लिए एक ग्राम तुलसी की पत्तियों को थोड़े अदरक के साथ आधा लीटर पानी में इतना उबालना चाहिए कि पानी की मात्रा घटकर आधी रह जाए तब इस काढ़े को चाय की तरह पीना चाहिए। तुलसी की पत्तियाँ कफ से होने वाली गले की खराबी को ठीक करने में भी लाभदायक होती हैं। तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर इस पानी को पीने और उससे गरारे करने से गला ठीक हो जाता है।
  • सिरदर्द होने पर तुलसी का रस और कपूर (Camphor) मिलाकर लगाए जल्दी ही सिरदर्द से मुक्ति मिलेगी |
  • खाँसी, जुकाम के लिए तुलसी का अन्य नुस्खा –10 पत्ते तुलसी के तथा 4 लौंग लेकर एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा शेष बचे, तब थोड़ा-सा सेंधा नमक डालकर गर्म चाय की तरह पी जायें। यह काढ़ा पीकर कुछ समय के लिए वस्त्र ओढ़कर पसीना लें। इस काढ़े को दिन में दो बार तीन दिन तक पियें।
  • तुलसी के रस में काली मिर्च मिलाकर किसी कांच की बोतल में हवा पास होने के लिए ढक्कन में छेद हो, अपने सोने वाले कमरे में रखें मानसिक शांति मिलेगी तथा अन्य बीमारियों से भी बचाव होगा |
  • अगर आप कम नींद आने यानि अनिंद्रा से पीड़ित है तो तुलसी के पत्ते और अजवायन किसी कपड़े में रखकर पोटली बनाकर अपने तकिये के नीचे रखकर सोयें |
  • तुलसी का रस या तेल की एक दो बूंदे नाक से सूंघने से मस्तिष्क में तरावट आती है |
  • तुलसी के पत्ते पानी में मिलाने से पानी की अशुद्धि दूर होती है |
  • दिमाग को ठंडक पहुचाने के लिए तुलसी के पत्ते के फायदे – मस्तिष्क की तरावट के लिए गर्मी के मौसम में हर रोज आधा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण, 1 चम्मच शुद्ध देशी घी तथा एक चम्मच शक्कर का चूरा इन तीनों को मिलाकर सुबह के समय लेने से मस्तिष्क में तरावट आ जाती है, मेमोरी यानि याददाश्त तेज हो जाती है। बाल काले होते हैं और आँखों की रौशनी तेज हो जाती हैं |
  • श्यामा तुलसी के पत्तों का दो-दो बूंद रस आंखों में डालने से आँखों का पीलापन , लाली और रतौंधी ठीक हो जाती है इसके अलावा तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख का infection जिसमे आंखे चिपचिपी हो जाती है ठीक हो जाता है |
  • तुलसी के रस से पेट के कीड़े, उल्टी, हिचकी, भूख अच्छी लगना, लीवर की कार्यशक्ति बढ़ाना, ब्लड कोलेस्ट्रॉल कम करना, पेट की गैस , दस्त, कोलाइटिस, कमर दर्द, जुकाम, सिरदर्द, बच्चों के रोग, हृदय रोग आदि सभी बिमारियों में लाभ होता है। आधा चम्मच रस या दस पत्ते तुलसी के रोजाना लें।
  • खाँसी – तुलसी के 25 पत्ते, 10 काली मिर्च मोटी पीसी हुई 200 मि.ली पानी में डालकर इतना उबालें कि 150 मी.ली ही पानी बच जाये। इसे ठण्डा कर छान कर एक बोतल में भर लें। इसकी तीन-तीन चम्मच रोजाना तीन बार पियें। खाँसी ठीक हो जायेगी। पुरानी खाँसी जो किसी भी तरह ठीक नहीं होती, वह भी ठीक हो जायेगी।
  • तुलसी की पत्तियों के एक चम्मच रस में एक चम्मच नीबू का रस मिलायें तथा इसे एग्जीमा तथा खाज-खुजली के स्थान पर लगायें। जल्द ही आराम मिलेगा |
  • तुलसी अर्क के फायदे भी अनेको हैं , इसका अर्क निकालने के लिए इनकी पत्तियों को गर्म पानी के ड्रम में डालकर वाष्प के जरिए अर्क निकालकर आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के मिश्रण से अलग-अलग बीमारियों में उपचार के लिए तैयार किया जाता हैं। यह अर्क ब्लड कॉलेस्ट्रोल, एसिडिटी, पेचिस, कोलाइटिस, स्नायु दर्द, सर्दी-जुकाम, सिरदर्द, उल्टी-दस्त, कफ, चेहरे की क्रांति में निखार, मुंहासे, सफेद दाग, कुष्ठ रोग, मोटापा कम, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, मलेरिया, खांसी, दाद, खुजली, गठिया, दमा, मरोड़, आंख का दर्द, पथरी, नकसीर, फेफड़ों की सूजन, अल्सर, पायरिया, शुगर, मूत्र संबंधी रोग आदि रोगों में फायदेमंद है |
  • अगर आपको बदहजमी है तो तुलसी का रस, अदरक का रस एक-एक चम्मच थोड़ी सी काली मिर्च और आधा चम्मच सेंधा नमक लेकर पानी के साथ लें इससे गैस बदहजमी दोनों ही दूर हो जायेंगे | यह भी पढ़ें – पेट की गैस की रामबाण दवा तथा अचूक आयुर्वेदिक इलाज
  • स्वास्थ्य वर्धक – केन्द्रीय सुगंध पौध अनुसंधान संस्थान (सीमैन) लखनऊ में विशेषज्ञों ने तुलसी की एक विशेष प्रजाति ओसिमम सेंकट्म से चाय तैयार की है। इस चाय में एन्टी ऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं। खासकर शरीर में खून साफ़ करने में विशेष रूप से सक्षम है। सीमैन के वैज्ञानिकों ने चाय के क्लिनिकल ट्रायल भी किये हैं और दावा किया है कि यह स्वास्थ्यवर्धक चाय साबित होगी जिससे ताजगी, स्फूर्ति और ऊर्जा प्राप्त होगी और यह किसी भी दुष्प्रभाव से रहित होगी।
  • चाय – तुलसी की 10 हरी पत्तियाँ एक कप पानी में डाल कर उबालकर छानकर पियें। चाहें तो स्वाद के लिए चीनी डाल सकते हैं। तुलसी की हरी पत्तियों को सुखाकर पीसकर पाउडर बना कर भी रखा जा सकता है। इसे चाय में डालकर भी पिया जा सकता है।
  • तुलसी का शक्ति वर्धक टॉनिक – 30 तुलसी की साफ पत्तियाँ पीसकर 20 ग्राम दही जो खट्टा न हो या एक-दो चम्मच शहद के साथ सेवन करें। इसके पश्चात् दो घंटे तक आगे-पीछे कुछ न खायें-पियें।
  • तुलसी के बीज का उपयोग – सोते समय 5 ग्राम तुलसी के बीज गर्म दूध के साथ लेने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है |
  • महिलाओं के पीरियड्स में अनियमितता और पीरियड्स के दर्द को दूर करने में भी तुलसी के बहुत लाभ है इसके लिए तुलसी के पत्तो को गर्म पानी में उबालकर एक चम्मच शहद दिन में तीन बार लें इससे शरीर का इम्म्युन भी मजबूत होगा | सिर्फ तुलसी के पत्तों के सेवन से या तुलसी के दस बीज पानी में उबालकर पीने से भी मासिक चक्र नियमित किया जा सकता है |
  • तुलसी के बीज का औषधीय उपयोग आजकल बहुत सारे आधुनिक उत्पादों में भी हो रहा है | और हर्बल प्रोडक्ट में तो शायद ही कोई ऐसा प्रोडक्ट हो जिसमे तुलसी का उपयोग कम या ज्यादा मात्रा में ना होता हो |
  • सांस की बदबू को दूर करने में भी तुलसी के पत्ते काफी फायदेमंद होते हैं और नेचुरल होने की वजह से इसका कोई साइडइफेक्ट भी नहीं होता है | अगर आपके मुंह से बदबू आ रही हो तो तुलसी के कुछ पत्तों को चबा लें |
  • अगर आपको कहीं चोट लग गई हो तो तुलसी के पत्ते को फिटकरी के साथ मिलाकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है क्योंकि तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल तत्व होते हैं जो घाव को पकने नहीं देता है | इसके अलावा तुलसी के पत्ते को तेल में मिलाकर लगाने से जलन भी कम होती है.
  • तुलसी का पेस्ट लगाने से कील-मुहांसे खत्म हो जाते हैं और चेहरा साफ होता है | नींबू से कील-मुंहासे हटाने के 10 बेहतरीन उपाय
  • तुलसी के प्रकार हैं – श्याम तुलसी, राम तुलसी, श्वेत/विष्णु तुलसी, वन तुलसी, नींबू तुलसी|
  • अगर आपके पास तुलसी का पौधा उपलब्ध ना हो तो Patanjali Tulsi Panchang Juice , patanjali tulsi powder , tulsi ras patanjali , patanjali tulsi drops आदि उत्पादों का प्रयोग कर सकते हैं

पपीता खाने के जबरदस्त फायदे | Benefits of Papaya in Hindi-Healthpluse

पपीता खाने के जबरदस्त फायदे | Benefits of Papaya in Hindi-Healthpluse

पपीता के औषधीय गुण 

★ पपीता(papaya) आसानी से हजम होने वाला फल है। पपीता भूख व शक्ति को बढ़ाता है। यह प्लीहा (तिल्ली), यकृत (लीवर),
पांडु (पीलिया) आदि रोग को समाप्त करता है।
★ पेट के रोगों को दूर करने के लिए पपीते का सेवन करना लाभकारी होता है। पपीते के सेवन से पाचनतंत्र ठीक होता है।
★ पपीते का रस अरूचि, अनिद्रा (नींद का न आना), सिर दर्द, कब्ज व आंवदस्त आदि रोगों को ठीक करता है।
★ पपीते का रस सेवन करने से अम्लपित्त (खट्टी डकारें) बंद हो जाती है। पपीता पेट रोग, हृदय रोग, आंतों की कमजोरी आदि को दूर करता है।
★ पके या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाना पेट के लिए लाभकारी होता है।
★ पपीते(papita) के पत्तों के उपयोग से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है और हृदय की धड़कन नियमित होती है।
★ पपीता वीर्य को बढ़ाता है, पागलपन को दूर करता है एवं वात दोषों को नष्ट करता है।
★ इसके सेवन से जख्म भरता है और दस्त व पेशाब की रुकावट दूर होती है।
★ कच्चे पपीते का दूध त्वचा रोग के लिए बहुत लाभकारी होता है।
★ पपीते के बीज कीड़े को नष्ट करने वाला और मासिक-धर्म को नियमित बनाने वाला होता है।
★ पपीते का दूध दर्द को ठीक करता है, कोढ़ को समाप्त करता है और स्तनों में दूध को बढ़ाता है।
★ पपीते का चूर्ण सेवन करने से आमाशय की जलन, जख्म, अर्बुद व अपच दूर होता है।

पपीता के औषधीय गुण व विभिन्न रोगों में उपयोग 

1. स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए /To Increase Breast Milk: पका पपीता खाने से या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से स्तनों में दूध बढ़ता है।
2. दाद /Ringworm : पपीते (papaya)का दूध निकालकर कुछ दिनों तक दाद पर लगाने से दाद ठीक होता है।
3. प्लीहा रोग: प्लीहा रोग से पीड़ित रोगी को पपीता का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे प्लीहा रोग ठीक होता है।
4. यकृत (जिगर /Liver ) रोग:
• यदि छोटे बच्चों के यकृत (जिगर) खराब रहता हो तो उसे प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए। पपीता यकृत (जिगर) को ताकत देता है। यह पेट के सभी रोगों को भी समाप्त करता है।
• पपीता और सेब खाने से बच्चों के जिगर की खराबी दूर होती है।
5. कब्ज़ / Constipation:
• कच्चा पपीता या पका पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
• कब्ज से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन सुबह पपीते का दूध पीना चाहिए। इससे कब्ज दूर होकर पेट साफ होता है।
• खाना खाने के बाद पपीता खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
• पपीते के दूध व अदरक के रस में 50 ग्राम अजवाइन मिलाकर छाया में सूखा लें। सूख जाने पर यह आधा चम्मच की मात्रा में भोजन के तुंरत बाद पानी से लें। इससे कब्ज दूर होती है। यह गैस बनना, गले व छाती की जलन, भूख का न लगना, गुदा की खुजली आदि को भी ठीक करता है।
6. पेट के कीड़े / Stomach worms: पपीते के 10 बीजों को पानी में पीसकर चौथाई कप पानी में मिलाकर लगभग 7 दिनों तक लगातार पीने से पेट के कीड़े समाप्त होते हैं।
7. गर्भपात /Abortion : पपीता खाने से गर्भपात हो जाता है। अत: गर्भावस्था में पपीते (papaya)का सेवन नहीं करना चाहिए।
8. बच्चों के शारीरिक शक्ति व लम्बाई के लिए: जिन बच्चों की शारीरिक लम्बाई कम होती है या शरीर कमजोर होता है, उसे प्रतिदिन पपीता खिलाना चाहिए।
9. अपच /Indigestion: आधे चम्मच कच्चे पपीते का दूध चीनी के साथ प्रतिदिन लेने से अपच (भोजन का न पचना) दूर होता है।
10. रक्तगुल्म (खूका जम जाना): प्रतिदिन शाम को आधा किलो पका पपीता खाने से रक्तगुल्म ठीक होता है।
11. पुरानी खाज-खुजली: पपीते का दूध और सुहागा को उबलते पानी में डालकर खाज-खुजली पर लगाने से दाद-खुजली दूर होती है।
12. नारू रोग: पपीते के पत्तों का रस अफीम में मिलाकर लेप करने से नारू शीघ्र ही बाहर निकल जाता है।
13. हृदय का रोग /heart disease:
• पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन पीने से हृदय का रोग ठीक होता है। इसके सेवन से घबराहट दूर होती है।
• बुखार में हृदय की कमजोर व नाड़ी का अधिक तेज चलने के रोग में पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर सेवन करना चाहिए।
• पपीते के पत्ते को पानी में उबालकर उसके पानी को छानकर पीने से हृदय रोग में लाभदायक है।
14. सौन्दर्य बढ़ाने के लिए:
• पके पपीते को छीलकर पीस लें और इसे चेहरे पर लगाएं। इसे लगाने के 15-20 मिनट के बाद जब यह सूख जाए तो चेहरे को पानी से धो लें और मोटे तौलिए से चेहरे को अच्छी तरह साफ करें। इसके बाद चेहरे पर तिल या नारियल का तेल लगाएं। इस तरह इसका उपयोग करने से 1 से 2 सप्ताह में ही चेहरे के दाग, धब्बे व मुंहासे ठीक हो जाते हैं और चेहरा सुन्दर बनता है। इससे चेहरे की झुर्रियां व काला घेरा आदि भी दूर होता है।
• युवतियों को अपनी कमर को सुन्दर व सुडौल बनाने के लिए प्रतिदिन कुछ महीने तक पपीता खाना चाहिए। इससे कमर पतली व सुडौल बनती है।
• 10 ग्राम पपीते का गूदा, 10 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच गुलाब जल एवं 10 मिलीलीटर टमाटर का रस मिलाकर चेहरे व शरीर के दूसरे अंगों पर लेप करें। लेप करने के 15 से 20 मिनट बाद हल्के गर्म पानी से साफ चेहरे को साफ कर लें। इस तरह कुछ दिनों तक इसका प्रयोग करने से त्वचा कोमल, चिकनी व मुलायम बनती है।
• खून की कमी होने पर रोगी को प्रतिदिन पपीता खाना चाहिए। इससे पाचन क्रिया ठीक होता है और खून बनता है।
• यदि प्रसव के बाद स्त्री के स्तनों में दूध न बनता हो तो उसे प्रतिदिन पपीते का सेवन करना चाहिए। इससे स्तनों में दूध बढ़ता है।
• लगभग 300 ग्राम पपीता प्रतिदिन खाने से मोटापा दूर होता है।
• चेहरे की त्वचा खुश्क व झुर्रिदार होने पर बचाव के लिए प्रतिदिन पपीता खाना चाहिए।
• चेहरे का रंग निखारने के लिए एक कप पपीते का रस व एक कप अमरूद का रस मिलाकर दिन में 2 बार पीना चाहिए। इससे कुछ ही दिनों मे चेहरे पर चमक आ जाती है।
• सभी त्वचा रोग में पपीते का रस, गाजर का रस और आधी मात्रा में पालक का रस मिलाकर दिन में 2 बार पीने से त्वचा रोग ठीक होता है।
• चेहरे के मुहांसे, कील, झाईयां आदि को दूर करने के लिए पके पपीते व आलू का रस मिलाकर दिन में 2-3 बार चेहरे पर लगाएं। इससे चेहरे के मुहांसे, कील व झाईयां दूर होती हैं।
• पपीते से मिलने वाला रासायनिक तत्त्व चेहरे पर जमी हुई तेलीय परत को हटाने में बहुत लाभकारी रहता है। एक पूरी तरह से पके हुए पपीते के अंदर का गूदा लेकर अच्छी तरह उसका लेप बना लें, 15 मिनट तक पपीते के गूदे का लेप चेहरे पर रगड़ कर कुछ देर बाद गुनगुने पानी से धो लें। अगर त्वचा रूखी हो तो पपीते के गूदे में गुलाब जल, चन्दन का बुरादा और हल्दी को मिलाकर उबटन बना कर लगा लें। और बाद में ठण्डे पानी से धो लें।
15. बवासीर रोग /Piles:
• बवासीर के मस्सों पर करीब एक महीने तक लगातार पपीते का दूध लगाने से मस्से सूखकर झड़ जाते हैं।
• खूनी या बादी बवासीर में आधा किलो पपीता दिन में 2 बार खाने चाहिए। इससे दोनों प्रकार की बवासीर ठीक होता है।
16. फीलपांव: पपीते के पत्तों को आग में गर्म करके फीलपांव पर दिन में 3 बार सिंकाई करने से फीलपांव ठीक होता है।
17. मासिक-धर्म की गड़बड़ी / Menstrual disturbances : 100 मिलीलीटर पपीते के रस, 100 ग्राम गाजर का रस और 50 ग्राम अनन्नास का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मासिकधर्म सम्बंधी गड़बड़ी दूर होती है।
18. अम्लपित्त (खट्टी डकारें): 250 ग्राम पके हुए पपीते को सेंधा नमक, कालीमिर्च व थोड़ा नींबू निचोड़कर दिन में 2 बार खाएं। इससे खट्टी डकारें बंद होती है। यह भोजन को पचाता है और भूख को बढ़ाता है।
19. जोड़ों का दर्द / Joint pain: मांसपेशियों के दर्द और जोंड़ों के दर्द को दूर करने के लिए पपीते के पत्ते को गर्म करके चिकने भाग की तरफ से बांधना या सिंकाई करना चाहिए। इससे जोड़ों व मांसपेशियों का दर्द ठीक होता है।
20. टांसिल होने पर /Tonsil: टांसिल बढ़ने तथा गले में दर्द होने पर 1 गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच पपीते का दूध मिलाकर गरारा करने से तुंरत आराम हो जाता है।
21. तिल्ली (प्लीहा) के रोग: • तिल्ली या प्लीहा बढ़ने पर पपीते का रस एक कप की मात्रा में दिन में 3 बार रोगी को देने से तिल्ली का बढ़ना ठीक होता है। मलेरिया ज्वर में भी पपीते का रस या पपीता खाने से ज्वर (बुखार) के कारण होने वाली उल्टी आदि तुरंत बंद हो जाती है।
• पपीता का नियमित रूप से सेवन करने से तिल्ली का बढ़ना ठीक होता है।
• कच्चे पपीते को बीच से इस तरह काटे कि उसमें 200 या 250 ग्राम सेंधा नमक भरा जा सके। इस तरह नमक भरे हुए पपीते को उसी टुकड़े से ढक दें और ऊपर से कपड़े की मिट्टी करें और फिर पपीते पर गोबरएक अंगुल मोटा लेप कर दें। इसके बाद इसे उपलों के आग के बीच रखकर पकाएं। जब उपले जल जाए तो पपीते को निकालकर पपीते के ऊपर से मिट्टी, गोबर हटाकर उसमें से नमक निकालकर महीने पीसकर रख लें। इस नमक को 5-6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम 3 सप्ताह तक सेवन कराएं। इससे तिल्ली का बढ़ना ठीक होता है।

22. हड्डी का टूटना: पपीते का एक कप रस, आधा कप गाजर का रस एवं आघा कप आंवले का रस मिलाकर दिन में 2 बार पीने से हड्डी का टूटना ठीक होता है और दर्द में आराम मिलता है।
23. जी मिचलाने या उल्टी होना: एक कप पपीते का रस और अनार, संतरा, अनन्नास व टमाटर का रस आधा-आधा कप। इस सभी को एक साथ मिलाकर पीने से जी मिचलाने या उल्टी आना बंद होता है।
24. उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर):
• पपीते का रस 1 कप, गाजर, संतरे आधा-आधा कप और तुलसी व लहसुन का रस 2-2 चम्मच। इन सभी को मिलाकर कुछ दिनों तक दिन में 2 बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप सामान्य बनता है।
• उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों को प्रतिदिन पपीता सेवन करना चाहिए।
26. कांच निकलना (गुदाभ्रंश): पपीते के पत्तों को पीसकर पानी में मिलाकर गुदाभ्रंश पर लगाने से गुदाभ्रंश ठीक होता है।
27. स्तनों में दूध कम होना: यदि शरीर में खून की कमी के कारण स्तनों में दूध की कमी हो तो पका हुआ पपीता प्रतिदिन खाली पेट खाएं। यह 20 दिनों तक खिलाने से स्तनों में दूध बढ़ता है।
28. दस्त रोग: कच्चे पपीते को उबालकर खाने से दस्त का बार-बार आना रोग ठीक होता है।
29. गुर्दे की पथरी: 6 ग्राम पपीते की जड़ को पीसकर 50 ग्राम पानी में मिलाकर 21 दिनों तक सुबह-शाम पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
30. पाचनशक्ति की कमजोरी:
• एक पक्के हुए पपीते को काटकर उसमें कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन खाने से पाचनशक्ति की कमजोरी दूर होती है।
• कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से पाचनशक्ति मजबूत होती है।
31. यकृत (जिगर) का रोग:
• पपीते के बीजों को सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में आधा नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करें। इससे यकृत की बीमारी दूर होती है।
• कच्चे पपीते का रस 2 चम्मच लेकर चीनी मिलाकर देने से यकृत और प्लीहा रोग में आराम मिलता है।
• 10 ग्राम कच्चे पपीते के दूध में चीनी मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से यकृत का बढना रोग ठीक होता है।
32. मधुमेह के रोग:
• पपीता, कत्था, खैर व सुपारी का काढ़ा बनाकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।
• 20 गाम पपीता, 5 ग्राम कत्था व सुपारी को मिलाकर कूट लें और फिर काढा बनाकर सेवन करें। इससे मधुमेह का रोग ठीक होता है।
33. प्लेग रोग: पपीता को घिसकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में सुबह-शाम प्लेग रोग से पीड़ित रोगी को देना चाहिए। इससे पेशाब में खून का आना बंद होता है।
34. पेट के कीड़े:
• पपीते के 5 से लेकर 7 बीजों को ताजे पानी के साथ 5 दिनों तक सेवन करने से पेट में कीड़ों के कारण होने वाला दर्द कीड़ों के मरने के साथ ठीक होता है।
• 10 से 15 पपीते के बीज को पानी में पीसकर 7 दिनों तक खाने से लाभ होता है।
• पपीत के बीज को पीसकर चूर्ण बनाकर 2 चुटकी को खुराक के रूप में दिन में 3 बार पानी के साथ पीने से लाभ होता हैं।
• कच्चा पपीता का रस शहद के साथ मिलाकर 125 से लेकर 250 मिलीलीटर की मात्रा में गर्म पानी मिला दें, फिर ठंडा होने पर नींबू का रस डालकर सेवन करने से लाभ होता हैं।
• पपीते के 10 बीजों को अच्छी तरह पीसकर 60 ग्राम से लेकर लगभग 90 ग्राम तक 15 दिनों तक पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते है।
35. पेट का दर्द:
• पपीता में काली मिर्च, नींबू का रस और सेंधा नमक डालकर खाने से कब्ज (गैस) के कारण होने वाले उदर (पेट) के दर्द में लाभ होता है।
• नींबू का रस और चीनी मिलाकर पीने से पेट का दर्द दूर होता है।
36. एड़ियों का फटना: पपीते के छिलकों को सुखाकर और पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। फिर इस चूर्ण में ग्लिसरीन मिलाकर दिन में 2 बार कटी-फटी एड़ियों और पैरों पर लगाने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
37. हृदय की धड़कन तेज होना: पपीते का गूदा लेकर मथ लें और 100 ग्राम गूदे में 2 लौंग का चूर्ण मिलाकर सेवन करें। इससे हृदय की धड़कन सामान्य बनती है।
38. हैजा: पानी अथवा गुलाबजल में पपीता घिसकर चटाने से हैजा दूर होता है।
39. उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर):
• प्रतिदिन 400 ग्राम पपीता खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभ होता है।
• भोजन के बाद पके हुए पपीते का सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभ होता है।
• खाली पेट प्रतिदिन पका हुआ पपीता खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) ठीक होता है।
40. त्वचा रोग: 2 चम्मच कच्चे पपीते का रस सुबह-शाम पीने से चमड़ी के सारे रोग ठीक हो जाते हैं।
41. नखूनों की खुजली: नाखूनो की खुजली पर कच्चे पपीते का रस नाखून खुजला कर लगाने से रोग ठीक होता है।
42. पीलिया का रोग:
• पका पपीता खाने या कच्चे पपीते की सब्जी बनाकर खाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
• छिलके सहित कच्चा पपीता 75 ग्राम चटनी की तरह बारीक पीस कर 250 मिलीलीटर पानी में घोल लें। स्वाद के अनुसार चीनी या ग्लूकोज मिलाकर पीलिया के रोगी को 3 बार प्रतिदिन पिलाने से कुछ ही दिनों में पीलिया ठीक हो जाता है। इसे और स्वादिष्ट बनाने के लिए स्वादानुसार नीबू, कालीमिर्च मिला सकते है। बच्चों के लिए मात्रा कम लें।
• जिन बच्चों को पीलिया हो, हाथ-पैर पतले हो या यकृत बढ़ गया हो उसे आधा गिलास पपीते का रस, एक कप अंगूर का रस, संतरा व मौसमी का रस मिलाकर दिन में 2 बार कुछ दिन तक पिलाना चाहिए। इससे पीलिया रोग ठीक होता है। रोगी को गन्ने का रस भी पिलाना चाहिए।
43. शरीर का सुन्न होना: शरीफे तथा पपीते के बीजों को पीसकर तिल के तेल में मिला लें। इस तेल को सुन्न अंगों पर मलने से रोग में लाभ मिलेगा।
44. खून की कमी: पपीते का गुदा 200 ग्राम की मात्रा में लगातार 20 दिनों तक प्रतिदिन खाने से शरीर में खून की कमी दूर होती है।
45. मुहांसे: पपीते का दूध प्रतिदिन चेहरे पर लगाने से मुंहासे ठीक होते हैं।
46. त्वचा का मुलायम व चमकदार होना: पके हुए पपीते के गूदे को पीसकर चेहरे पर लेप करने से त्वचा मुलायम व चमकदार होता है।
47. टांसिल का बढ़ना : कच्चे पपीते के हरे भाग को चीर कर उसका दूध निकाल लें और एक चम्मच दूध एक गिलास गुनगुने पानी में डालकर गरारें करें। इससे टांसिल का बढ़ना ठीक होता है।
48. कोलेस्ट्रॉल कम करन में सहायक
पपीते में उच्च मात्रा में फाइबर मौजूद होता है. साथ ही ये विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होता है. अपने इन्हीं गुणों के चलते ये कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी असरदार है.
49. वजन घटाने में
एक मध्यम आकार के पपीते में 120 कैलोरी होती है. ऐसे में अगर आप वजन घटाने की बात सोच रहे हैं तो अपनी डाइट में पपीते को जरूर शामिल करें. इसमें मौजूद फाइबर्स वजन घटाने में मददगार होते हैं .
50. रोग प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने में
रोग प्रतिरक्षा क्षमता अच्छी हो तो बीमारियां दूर रहती हैं. पपीता आपके शरीर के लिए आवश्यक विटामिन सी की मांग को पूरा करता है. ऐसे में अगर आप हर रोज कुछ मात्रा में पपीता खाते हैं तो आपके बीमार होने की आशंका कम हो जाएगी.
51. आंखों की रोशनी बढ़ाने में
पपीते में विटामिन सी तो भरपूर होता ही है साथ ही विटामिन ए भी पर्याप्त मात्रा में होता है. विटामिन ए आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ ही बढ़ती उम्र से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में भी कारगर है.
52. पाचन तंत्र को सक्रिय रखने में
पपीते के सेवन से पाचन तंत्र भी सक्रिय रहता है. पपीते में कई पाचक एंजाइम्स होते हैं. साथ ही इसमें कई डाइट्री फाइबर्स भी होते हैं जिसकी वजह से पाचन क्रिया सही रहती है.
53. पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द में
जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दर्द की शिकायत होती है उन्हें पपीते का सेवन करना चाहिए. पपीते के सेवन से एक ओर जहां पीरियड साइकिल नियमित रहता है वहीं दर्द में भी आराम मिलता है.

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